प्राकृतिक आपदा
ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।
जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।
ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा’ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।
एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम का परिणाम है जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, या भूस्खलन जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को सही योजना और आपातकालीन हप्रबंधन का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, मतलब उनके लचीलेपन पर....
"जब जोखिम और दुर्बलता का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं" जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण , निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना. बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं
"जब जोखिम और दुर्बलता का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं" जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण , निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना. बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं

आईये जानते है विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के बारे में ।
भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्रों सीस्मोमीटर के साथ करा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का आघूर्ण परिमाण मापक्रम पारंपरिक रूप से नापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। 6 या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है, जबकि 7 रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। पृथ्वी की सतह पर, भूकंप अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट करता है। भूकम्प के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं।
अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं।
[1]. भूकम्प (earthquake)-
अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं।
[2]. बाढ़-
बाढ़ प्राकृतिक प्रकोपों में सबसे अधिक विश्वव्यापी है। यदि जलप्लावन ऐसे क्षेत्रों में होता है जहां कम पानी रहता है तो उसे बाढ़ कहा जाता है।
बाढ़ सामान्यतः एक प्राकृतिक घटना है। लेकिन जब यह दुर्घटना के रूप में प्रकट होती है तो इसके कारण और निवारण पर विचार करना आवश्यक हो जाता है। बाढ़ से भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व प्राभवित रहता है। इसके कारण भले ही अलग-अलग होते है। बाढ़ एक मानव संकट भी है।
[3]. तूफ़ान-
तूफ़ान या आँधी पृथ्वी के वायुमंडल में उत्तेजना की स्थिति को कहते हैं जो अक्सर सख़्त मौसम के साथ आती है। इसमें तेज़ हवाएँ, ओले गिरना, भारी बारिश, भारी बर्फ़बारी, बादलों का चमकना और बिजली का चमकना जैसे मौसमी गतिविधियाँ दिखती हैं। आमतौर पर तूफ़ान आने से साधारण जीवन पर बुरा असर पड़ता है। यातायात और अन्य दैनिक क्रियाओं के अलावा, बाढ़ आने, बिजली गिरने और हिमपात से जान व माल की हानि भी हो सकती है। रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्रों में रेतीले तूफ़ान और समुद्रों में ऊँची लहरों जैसी ख़तरनाक स्थितियाँ भी पैदा हो सकती हैं। इसके विपरीत बारिश व हिमपात से कुछ इलाक़ों में सूखे की समस्या में मदद भी मिल सकती है।मौसम-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि हर साल पृथ्वी पर लगभग 1.6 करोड़ गरज-चमक वाले तूफ़ान आते हैं।
[4]. भूस्खलन-
ठोस चट्टान या शैल यदि अचानक ढलान पर फिसल जायें तो उसको भू-स्खलन कहते हैं । भू-स्खलन एक विश्वव्यापी प्रक्रिया है जो छोटे-बड़े पैमाने पर विश्व के सभी देशों में प्रायः होती रहती है, परंतु बड़े पैमाने पर भू-स्खलन की संख्या कम है जो विशेष परिस्थितियों में होते हैं । भू-स्खलन चंद सेकंडों में हो सकता है तथा इसमें कुछ दिन और महीने भी लग सकते हैं ।
भू-स्खलन अन्य भौतिक आपदाओं जैसे भूकंप, ज्वालामुखी, सुनामी की भांति विनाशकारी नहीं होते, फिर भी यदि किसी बस्ती अथवा नगर या टाऊन के पास भू-श्चलन हो जाये तो भारी जान-माल का नुकसान हो सकता है । भू-स्खलन की तीव्रता चट्टानों की संरचना तथा सघनता पर निर्भर करता है । शैल-बहाव, कीचड-बहाव, चट्टानी टुकड़ों का गिरना, मलवा का खिसकना भू-स्खलन के कुछ उदाहरण हैं ।
जानते हैं इन सभी का उपाय और निवारण क्या हैं।
इन सभी भयानक परिस्थितियों को हम सभी मानव समाज ने ही उत्पन्न किया है हमने अपने प्राकृतिक वातावरण को इतना बिगाड़ दिया है कि अब आपदा कब और कैसे आए पता ही नहीं चल सकता ....
इनसे बचने का एक ही तरीका है सभी मानव सभ्य मानव की तरह जीवन जियो और बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए ।
हमें अपने पृथ्वी और पृथ्वी के वातावरण को सुरक्षित रखता होगा रखना होगा-
हमें फिर से सतयुग जैसा माहौल लाना होगा....
और मानव समाज को सभ्य समाज की राह दिखानी होगी
कलयुग में सतयुग कैसै आयेगा और कौन लायेगा
कबीर परमात्मा ने स्वसमवेद बोध पृष्ठ 171 (1515) पर एक दोहे में इसका वर्णन किया है,
जो इस प्रकार है:-
पाँच हजार अरू पाँच सौ पाँच जब कलयुग बीत जाय।
महापुरूष फरमान तब, जग तारन कूं आय।
हिन्दु तुर्क आदि सबै, जेते जीव जहान।
सत्य नाम की साख गही, पावैं पद निर्वान।
सबही नारी-नर शुद्ध तब, जब ठीक का दिन आवंत।
कपट चातुरी छोडी के, शरण कबीर गहंत।
एक अनेक ह्नै गए, पुनः अनेक हों एक।
हंस चलै सतलोक सब, सत्यनाम की टेक।
भावार्थ:- जिस समय कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच वर्ष बीत जाएगा, तब एक महापुरूष विश्व को पार करने के लिए आएगा। हिन्दु, मुसलमान आदि-आदि जितने भी पंथ तब तक बनेंगे और जितने जीव संसार में हैं, वे मानव शरीर प्राप्त करके उस महापुरूष से सत्यनाम लेकर मोक्ष प्राप्त करेंगे। जिस समय वह निर्धारित समय आएगा। उस समय स्त्री-पुरूष उच्च विचारों तथा शुद्ध आचरण के होकर कपट, व्यर्थ की चतुराई त्यागकर मेरी (कबीर जी की) शरण ग्रहण करेंगे। वर्तमान समय में जिस प्रकार से लाभ लेने के लिए एक ‘मानव‘ धर्म से अनेक पंथ (धार्मिक समुदाय) बन गए हैं, वे सब पुनः एक हो जाएंगे। सब हंस (निर्विकार भक्त) आत्माऐं सत्यनाम की शक्ति से सतलोक चले जाएंगे।
कैसा होगा स्वर्ण युग कलयुग में ?
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज के साधक उनसे नाम दीक्षा लेकर सभी सामाजिक बुराइयों को छोड़ 16 गुण धारण कर रहे हैं।जो इस प्रकार हैं।
1.ज्ञान
2.विवेक
3.सत्य बोलना
4.संतोष रखना
5.प्रेम भाव से रहना
6.धीरज
7.किसी से धोखा ना करना
8.दया
9.क्षमा
10.शील
11.निष्कर्मा
12.त्याग
13.बैराग
14.शांति निज धर्मा
15.भक्ति करना
16.सबको मित्र समझना।
आप भी एक सभ्य मानव समाज से जुड़ियें
तथा सब भी सभ्य और सादा जीवन जीने के लिए अवश्य पढ़िए
जीने की राह
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